नई दिल्ली. ट्रेन का हॉर्न तो आपने भी कई बार सुना होगा, लेकिन क्या कभी ध्यान दिया है कि पायलट सिर्फ एक ही तरह के हॉर्न नहीं बजाता. ट्रेन के पायलट के पास अपनी हर बात का संकेत देने का सिर्फ एक ही जरिया होता है, हॉर्न बजाना. यही वजह है कि ट्रेन का पायलट कई तरह का हॉर्न देता है. इसमें कोई खतरे का संकेत होती है तो किसी में गार्ड के लिए संकेत छुपा होता है.
ट्रेन कभी लंबे हॉर्न देती है तो कभी छोटे-छोटे अंतराल पर कई हॉर्न बजाती है. ट्रेन का यही हॉर्न यह भी बताता कि किसी स्टेशन पर रुकेगी या नहीं. रेलवे क्रॉसिंग पार करते समय ट्रेन अलग तरह का हॉर्न बनाती है, जो सतर्क करने का संकेत होता है. इतना ही नहीं, जब कोई ट्रेन की बोगी में चेन खींचता है तो ट्रेन का पायलट हॉर्न बजाकर ही गार्ड को इसका संकेत देता है. पायलट जब कोई बड़ा खतरा भांपता है तो भी हॉर्न के जरिये ही इसका संकेत देता है. कुल मिलाकर ट्रेन का पायलट 11 तरीके से हॉर्न बजाकर संकेत देता है.
सफाई के लिए जाते समय हॉर्न
जब ट्रेन का पायलट उसे साफ-सफाई के लिए ले जा रहा होता है तो छोटा हॉर्न देता है. इसके बाद जब
ट्रेन साफ-सफाई होने के बाद यात्रा के लिए तैयार हो जाती है तो पायलट दो छोटे हॉर्न बजाता है. इस हॉर्न के जरिये पायलट मोटरमैन गार्ड को रेलवे सिग्नल देने का संकेत जारी करता है. इसके बाद गार्ड के सिग्नल देने के बाद ट्रेन अपनी अगली यात्रा पर निकल पड़ती है.
गार्ड को मिलता है खास संकेत
ट्रेन के लोकोपायलट को जब गार्ड को ब्रेक पाइप सिस्टम सेट करने के लिए संकेत देना होता है तो वह एक लंबा और एक छोटा हॉर्न बताता है. क्या आपको पता है कि लोकोपायलट ट्रेन के इंजन का कंट्रोल गार्ड को भी दे सकता है और इस काम के लिए भी वह हॉर्न बजाकर संकेत देता है. लोकोपायलट दो लंबे और दो छोटे हॉर्न बनाकर गार्ड को इंजन का कंट्रोल लेने का सिग्नल देता है.
स्टेशन पार करते समय अलग हॉर्न
जब कोई ट्रेन स्टेशन पर आते समय लंबे हॉर्न देती है तो इसका मतलब होता है कि वह रुकेगी नहीं और इस स्टेशन को पार कर जाएगी. इस लंबे हॉर्न का संकेत यात्रियों के लिए होता है, ताकि वे जान सकें कि ट्रेन रुकेगी नहीं और वे सतर्क होकर पीछे हट जाएं. इसी तरह, रेलवे क्रॉसिंग को पार करते समय ट्रेन 2 बार रुक-रुककर हॉर्न देती है. यह लोगों को क्रॉसिंग पार करते समय सतर्क रहने का संकेत देती है.
इमरजेंसी में 3 छोटे हॉर्न
जब लोकोपायलट ट्रेन पर अपना कंट्रोल खो देता है तो इमरजेंसी की हालत में तीन छोटे हॉर्न बजाता है. इमरजेंसी इस हालत में अगर लोकोपायलट गार्ड से संपर्क नहीं कर पाए तो हादसा हो सकता है. यही वजह है कि वह हॉर्न बजाकर गार्ड को सतर्क कर देता है. इसी तरह, तकनीकी खराबी आने पर लोकोपायलट 4 छोटे-छोटे हॉर्न बजाकर इसका संकेत देता है. इसका मतलब यह भी होता है कि ट्रेन अब आगे नहीं जा सकती है.
ट्रैक बदलने के लिए अलग हॉर्न
अगर कोई यात्री या रेलवे कर्मचारी बोगी की चेन खींच देता है तो ट्रेन का लोकोपायलट दो छोटे और एक लंबा हॉर्न बजाकर इसका संकेत देता है. इसके अलावा जब गार्ड वैक्यूम ब्रेक खींचता है तो भी ट्रेन दो छोटे और एक लंबा हॉर्न देती है. इसी तरह, ट्रैक बदलते समय लोकोपायलट दो लंबे और एक छोटा हॉर्न बजाता है, ताकि गार्ड व तकनीकी कर्मचारियों को इसका संकेत मिल जाए.
खतरा होने पर कैसे मिलता है संकेत
लोकोपायलट जब 6 बार छोटे हॉर्न बजाता है तो मतलब है कि कोई बड़ा खतरा पैदा हो गया है. लिहाजा हॉर्न के जरिये वह लोगों और गार्ड को इसका संकेत दे देता है. इस तरह लोकोपायलट बिना किसी को पता हुए अपने लिए मदद भी बुला सकता है. ट्रेन के हादसे की आशंका में भी लोकोपायलट 6 बार छोटे हॉर्न बजाकर सभी को सचेत कर देता है.