14 वर्षों की सेवा, शिक्षा में अनमोल योगदान
आदित्य नारायण शर्मा ने 14 अगस्त 2010 से 28 फरवरी 2025 तक इस विद्यालय में सेवाएं दीं। इस दौरान उन्होंने न केवल बच्चों को शिक्षित किया, बल्कि उनके जीवन को भी सकारात्मक दिशा देने में अहम भूमिका निभाई। उनके जाने की खबर से पूरा गांव भावुक हो गया। विदाई समारोह के दौरान बच्चों और ग्रामीणों की आंखों में आंसू थे, जिसने हर किसी को भावुक कर दिया।
विदाई समारोह बना शादी जैसा भव्य आयोजन
शिक्षक आदित्य नारायण शर्मा की विदाई किसी शादी समारोह से कम नहीं थी। उनकी गाड़ी को फूलों से सजाया गया, जैसे किसी दूल्हे की कार सजाई जाती है। पूरे गांव में शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें ढोल-नगाड़ों और डीजे की धुन पर ग्रामीण नाचते-गाते आगे बढ़ रहे थे। यह दृश्य देखने लायक था और जिसने भी इसे देखा, वह हैरान रह गया।
सामूहिक भोज और यादों का संजोया गया पल
विदाई समारोह के दौरान सामूहिक भोज का आयोजन भी किया गया, जिसमें गांव के सभी लोग और विद्यालय के शिक्षक शामिल हुए। सभी ने मिलकर भोजन किया और अपने प्रिय शिक्षक के साथ बिताए गए अनमोल पलों को याद किया। यह एक ऐसा भावनात्मक क्षण था, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
प्रधानाध्यापक ने की तारीफ
आदित्य नारायण शर्मा की मध्य विद्यालय डुमरी के प्रधानाध्यापक प्रदीप कुमार ने तारीफ की। प्रदीप कुमार ने कहा कि आदित्य नारायण शर्मा ने विद्यालय को नई पहचान दिलाई। ये ऐसे शिक्षक हैं, जो स्कूल में आने के बाद कुर्सी पर नहीं बैठते थे। क्लास में पूरे 6 घंटे बच्चों को पढ़ाते थे।