सिंध पहुंच चुके हैं चीनी सुरक्षाकर्मी
चीन ने इस साल मार्च में पहली बार एक समझौते के तहत सिंध प्रांत में अपने निजी सुरक्षाकर्मियों को भेजा है। यह चीन की तरफ से विदेशों में अपनी सुरक्षा उपस्थिति को बढ़ाने का एक बड़ा कदम है। यह कदम चीनी नागरिकों पर बढ़ते हमलों के बाद उठाया गया है। इससे पता चलता है कि चीन अपने रणनीतिक हितों की रक्षा करने के लिए सीधे तौर पर आगे आ रहा है।
पाकिस्तान में बलूच अलगाववादी समूह चीनी नागरिकों और CPEC प्रोजेक्ट को निशाना बनाया है। इसके जवाब में बीजिंग ने अपनी सुरक्षा को बढ़ाया है। चीन के निजी सुरक्षाकर्मी यहां पाकिस्तानी बलों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। पहली बार ये हुआ है कि चीन के सुरक्षाकर्मी पाकिस्तान के सिंध में तैनात हुए हैं। इस तैनाती के लिए चीन ने पाकिस्तान की शहबाज सरकार पर दबाव डालकर समझौता किया है।
भारत के लिए क्यों चिंता का सबब
पाकिस्तान में चीन की बढ़ती सुरक्षा भूमिका सिर्फ उसके आर्थिक हितों तक ही सीमित नहीं है। इसके भारत के लिए सीधे रणनीतिक निहितार्थ है। भारत के लिए सबसे चिंता की बात यह है कि चीन LoC पर पाकिस्तान को सैन्य सहायता दे रहा है। इसमें बंकरों का निर्माण, ड्रोन आपूर्ति, एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन सिस्टम और रडार तकनीक शामिल हैं। ये सभी चीजें भारत के खिलाफ पाकिस्तान की निगरानी और हमले की क्षमताओं को बढ़ाती हैं।
पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाना चीन की भारत को घेरने की रणनीति का हिस्सा है। इसे श्रीलंका और नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव से और बल मिलता है। चीन और पाकिस्तान के बीच खुफिया सहयोग से भारतीय क्षेत्र में सीमा पार निगरानी का डर बढ़ा है। ऐसी अटकलें हैं कि चीनी नागरिकों पर पाकिस्तान में हमले जारी रहे तो बीजिंग आधिकारिक तौर पर वहां अपनी सेना (PLA) की तैनाती कर सकता है। यह क्षेत्रीय स्थिरता और भारत के लिए खतरनाक बदलाव होगा।