गहलोत राज में शुरू हुई थी यह योजना
प्रतिभावान छात्र छात्राओं को देश-विदेश के नामी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति देने की यह योजना पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने शुरू की थी। पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने अगस्त 2021 में इस योजना की घोषणा की थी। इसका नाम राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना था। मौजूदा सरकार ने इस योजना के नाम में से राजीव गांधी का नाम हटा दिया। भजनलाल सरकार ने इस योजना का नाम स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना कर दिया था। इस योजना के तहत तीन श्रेणियों में स्कॉलरशिप दी जाती है।
लाभार्थियों के नाम छिपाने पर हाईकोर्ट नाराज
मनजीत सिंह देवड़ा की इस याचिका की सुनवाई जस्टिस अनूप ढंढ की अदालत में हुई। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए थे कि तीनों श्रेणियों (ई-1, ई-2 और ई-3) लाभार्थियों की सूची और उनके माता पिता का विवरण कोर्ट में पेश करें। आदेश के बावजूद सरकार ने लाभार्थियों की सूची पेश नहीं करने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की। जस्टिस अनूप ढंढ ने कहा कि जिन परिवारों की सालाना आय 25 लाख रुपए से ज्यादा है, उनके बच्चों को भी लाखों रुपए की स्कॉलरशिप दी जा रही है। यह सच्चाई लोगों के सामने आनी चाहिए।
क्यों ना इस श्रेणी को ही समाप्त कर दिया जाए – कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि अलग-अलग इनकम के आधार पर सरकार ने तीन श्रेणियां बना रखी है। तीसरी श्रेणी ई-3 में धनाढ्य परिवारों के बच्चों को स्कॉलरशिप दी जा रही है। कोर्ट का मानना है कि धनाढ्य परिवारों के बच्चों को स्कॉलरशिप देना जनता की गाढ़ी कमाई को बर्बाद करने के समान है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्यों ना इस श्रेणी की स्कॉलरशिप को ही बंद कर दिया जाए। इस तरह से जनता के पैसों को बर्बाद होते हुए नहीं देखा जा सकता।