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oi-Divyansh Rastogi
Pakistan Terrorism: रात की खामोशी में जब दुनिया चैन की नींद सोती है, एक मुल्क जागता है – लेकिन शांति के लिए नहीं, बल्कि साजिशों की स्याही में नए पन्ने लिखने के लिए। वह मुल्क है ‘पाकिस्तान’। कागज़ों पर आतंकवाद से लड़ने का दावा करता है, मंचों पर मासूम बनने का ढोंग करता है, लेकिन जब स्याही सूखती है और धुआं छंटता है – हकीकत कुछ और बयां करती है।
आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सधे हुए शब्दों से पाकिस्तान ने सालों तक आतंकियों से किसी भी रिश्ते से इनकार किया। ‘हम भी आतंक के खिलाफ हैं’, ‘हमने खुद आतंकवाद झेला है’, ‘हम किसी को पनाह नहीं देते’ – हर बार यही रटे-रटाए संवाद।

इनकार की चादर में इकरार की छाया
लेकिन फिर – एक-एक परत खुलती गई। कभी ओसामा बिन लादेन एबटाबाद की फौजी छावनी में मिला। कभी हाफिज सईद लाहौर की गलियों में घूमता दिखा। और फिर मसूद अजहर, जिसे ‘गायब’ बताकर पाकिस्तान ने आँखें फेर लीं, वह अचानक यूएन बैन के बावजूद पाक धरती पर ‘बेदाग’ निकला।
CIA की रेड और ISI की चुप्पी
मई 2011 की वो रात – जब CIA के सील कमांडो पाकिस्तान की एबटाबाद छावनी में हेलीकॉप्टर से उतरे। ऑपरेशन पूरा हुआ, लादेन मारा गया। लेकिन सवाल उठे: दुनिया का सबसे वांछित आतंकवादी एक हाई-सिक्योरिटी जोन में कैसे छिपा था?
ISI के पास कोई जवाब नहीं था। जो जवाब थे, वे सिर्फ झूठ की दीवारें थीं। अमेरिका ने पूछा, भारत ने कहा – ‘देखा! यही है सबूत’ – मगर पाकिस्तान ने आंखें बंद रखीं। जवाब सिर्फ एक – ‘हम नहीं जानते।’
साजिशों का Safe House नेटवर्क
अमृतसर से लेकर काबुल तक, पठानकोट से लेकर पुलवामा तक – जितनी भी आतंक की परछाइयां भारत पर पड़ीं, उनकी परछाईं पाकिस्तान की जमीन से शुरू हुईं। टेररिस्ट ट्रेनिंग कैंप्स, रावलपिंडी के पास से संचालित हुए। सोशल मीडिया पर लीक हुई वीडियो क्लिप्स में खुद जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर मानते हैं- ‘हम यहीं से लड़ाई लड़ते हैं।’
और तब… पाकिस्तान का इनकार फीका पड़ने लगता है।
FATF की काली नजर और दोहरे चेहरे
जब आतंकियों को फंडिंग रोकने की बात आई, तो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला। चेतावनी दी गई – ‘अगर आतंकियों को सपोर्ट नहीं रोका, तो ब्लैकलिस्ट तय है।’ जवाब में पाकिस्तान ने कुछ मुखौटे लगाए – कुछ आतंकी संगठनों पर बैन, कुछ नेताओं की गिरफ्तारी। पर सच्चाई? ‘बैन’ संगठन नए नाम से सामने आए, ‘गिरफ्तार’ नेता घर में नजरबंद होकर आराम करते रहे। एक नाटक – जिसमें नायक नहीं, सिर्फ खलनायक थे।
कब्रिस्तान में दबी सच्चाइयां
2023 में अफगानिस्तान ने भी खुलेआम कहा – ‘TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के लोग पाकिस्तान में ही ट्रेनिंग लेते हैं, वहीं उन्हें हथियार मिलते हैं।’ यह बयान कोई भारत नहीं, कोई CIA नहीं – बल्कि पड़ोसी मुस्लिम मुल्क ने दिया। बावजूद इसके पाकिस्तान हर बार यही कहता रहा- ‘हमें बदनाम किया जा रहा है।’
जब इकरार हुआ… अनजाने में ही सही
पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने 2023 में एक इंटरव्यू में कहा – ‘हमारे देश में कुछ ऐसे तत्व हैं, जिन पर नियंत्रण पाना मुश्किल रहा है…’ यह ‘तत्व’ कौन हैं? क्या वो हवा महल में बैठे कवि हैं? नहीं, ये वो आतंकी नेटवर्क हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई करना पाकिस्तान का मन कभी नहीं करता। इसी बयान में छुपा था इकरार – न चाहते हुए भी।
नकाब अब उतर रहा है!
दहशतगर्दी सिर्फ बंदूक या विस्फोट से नहीं फैलती – वह तब सबसे खतरनाक होती है, जब एक पूरा मुल्क उसे पालता है, उसे पनाह देता है, और फिर मासूमियत का लबादा ओढ़ लेता है। पाकिस्तान का नाम अब हर उस हमले में गूंजता है, जहां खून गिरा है और मानवता रोई है।
आइए नजर डालते हैं कुछ आतंकियों पर, जिससे साफ होगी पाकिस्तान के आतंक की तस्वीरें….
आतंकी केस-1: ओसामा बिन लादेन (Osama bin Laden)

- जन्म: 10 मार्च 1957, रियाद, सऊदी अरब
- मौत: 2 मई 2011, एबटाबाद, पाकिस्तान
- संगठन: अल-कायदा
- कनेक्शन: पाकिस्तान के एबटाबाद में पाकिस्तानी मिलिट्री अकादमी से महज़ 800 मीटर दूर एक सुरक्षित परिसर में 5 साल तक छिपा रहा।
- पाकिस्तान का स्टैंड: पहले पूरी तरह इनकार, फिर “हमें पता नहीं था” कहकर पल्ला झाड़ा।
- दुनिया की नजर में: पाकिस्तान की ISI की भूमिका संदिग्ध रही। कार्लोटा गॉल और अन्य रिपोर्टों ने ISI पर आरोप लगाए।
ओसामा बिन लादेन का जन्म 10 मार्च 1957 को सऊदी अरब के रियाद में हुआ था। वह एक अमीर निर्माण व्यवसायी के बेटा था। उसने 1988 में अल-कायदा की स्थापना की, जो एक वैश्विक इस्लामी आतंकवादी संगठन है। बिन लादेन ने 1996 में अमेरिका के खिलाफ ‘जिहाद’ की घोषणा की और 1998 में अमेरिकी दूतावासों पर बमबारी की। उनकी सबसे कुख्यात योजना 11 सितंबर 2001 को हुई, जब अल-कायदा के आतंकवादियों ने अमेरिका में चार विमानों को अपहृत कर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन पर हमले किए, जिसमें लगभग 3,000 लोग मारे गए।
ओसामा बिन लादेन की मौत और एबटाबाद में उसका ठिकाना
11 सितंबर 2001 उर्फ 9/11 के हमलों के बाद, बिन लादेन अफगानिस्तान से भाग गया और लगभग एक दशक तक छिपा रहा। अंततः, वह पाकिस्तान के एबटाबाद में एक सुरक्षित परिसर में पाया गया, जो पाकिस्तान की सैन्य अकादमी के पास स्थित था। 2 मई 2011 को, अमेरिकी नौसेना के सील टीम 6 ने पाकिस्तान के एबटाबाद में स्थित एक सुरक्षित परिसर में ‘ऑपरेशन नेप्च्यून स्पीयर’ के तहत ओसामा बिन लादेन को मार गिराया। यह परिसर पाकिस्तान की सैन्य अकादमी से कुछ ही दूरी पर स्थित था, जिससे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठे।
एबटाबाद में बिन लादेन का ठिकाना
बिन लादेन एबटाबाद में एक उच्च सुरक्षा वाले परिसर में रह रहा था, जो पाकिस्तान की सैन्य अकादमी के पास स्थित था। इस परिसर में कोई टेलीफोन या इंटरनेट कनेक्शन नहीं था, और इसकी दीवारें लगभग 18 फीट ऊंची थीं। इस स्थान पर उसकी उपस्थिति ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की क्षमता पर सवाल उठाए।
पाकिस्तान ने ही दी थी लादेन को पनाह!
पाकिस्तान सरकार ने बिन लादेन को पनाह देने से इनकार किया और कहा कि उन्हें उसके ठिकाने की जानकारी नहीं थी। हालांकि, 2014 में पत्रकार कार्लोटा गॉल ने दावा किया कि इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई), जो पाकिस्तान की सबसे बड़ी इंटेलिजेंस है, के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को बिन लादेन की उपस्थिति की जानकारी थी, जिसे उन्होंने छिपाया। पाकिस्तान की सरकार और सेना ने इन आरोपों का खंडन किया। हालांकि, 2011 में आईएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उसकी मौत की पुष्टि की।
भारत का स्टैंड?
भारत ने ओसामा बिन लादेन को वैश्विक आतंकवाद का प्रतीक माना और उसकी मौत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण सफलता बताया। भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान में बिन लादेन की मौजूदगी से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देता है।
ओसामा बिन लादेन पर आरोप
- 11 सितंबर 2001 के हमले: अमेरिका में हुए इन हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने का आरोप।
- 1998 के अमेरिकी दूतावास बम धमाके: केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों पर बमबारी, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए।
- 2000 में यूएसएस कोल पर हमला: यमन के अदन बंदरगाह में अमेरिकी नौसेना के जहाज पर आत्मघाती हमला।
आतंकी केस-2: हाफिज़ मुहम्मद सईद (Hafiz Saeed)

- जन्म: 1950 (लगभग), सरगोधा, पाकिस्तान
- संगठन: लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा
- कनेक्शन: खुलेआम पाकिस्तान में रहा, कई बार “ड्रामा टाइप” नजरबंद किया गया, पर 2020 से सजा काट रहा है – वो भी FATF के दबाव में।
- भारत पर आरोप: 26/11 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड
- पाकिस्तान का स्टैंड: पहले समर्थन में, बाद में FATF ग्रे लिस्ट से बचने के लिए सख्ती दिखाई।
- अंतरराष्ट्रीय स्थिति: UN, अमेरिका, भारत सहित कई देशों द्वारा घोषित आतंकवादी। अमेरिका ने $10 मिलियन का इनाम रखा।
हाफिज सईद पाकिस्तान के एक कट्टरपंथी इस्लामी उपदेशक और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का सह-संस्थापक है, जिसे संयुक्त राष्ट्र, भारत, अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य देशों ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है। उसे 2008 के मुंबई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है, जिसमें 166 लोग मारे गए थे।
कहां है हाफिज सईद?
संयुक्त राष्ट्र की जनवरी 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, हाफिज सईद पाकिस्तान सरकार की हिरासत में हैं और लाहौर की जेल में 78 साल की सजा काट रहे हैं। उन्हें सात आतंक वित्तपोषण मामलों में दोषी ठहराया गया है और 12 फरवरी 2020 से जेल में हैं।
पाकिस्तान का आधिकारिक स्टैंड
पाकिस्तान ने आधिकारिक रूप से हाफिज सईद को अपना नागरिक माना है। पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने 2018 में कहा था कि यदि हाफिज सईद योग्य हैं, तो वे राजनीति में भाग ले सकते हैं। हालांकि, भारत द्वारा उनके प्रत्यर्पण की मांग पर पाकिस्तान ने जवाब दिया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि नहीं है।
भारत का स्टैंड: हाफिज सईद के खिलाफ
भारत सरकार हाफिज सईद को 26/11 मुंबई आतंकी हमलों का मुख्य साजिशकर्ता मानती है, जिसमें 166 लोग मारे गए थे। भारत ने दिसंबर 2023 में पाकिस्तान से औपचारिक रूप से उनकी प्रत्यर्पण की मांग की, ताकि उन्हें भारतीय न्यायालय में मुकदमे का सामना करना पड़े। हालांकि, पाकिस्तान ने इस अनुरोध को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि दोनों देशों के बीच कोई द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि नहीं है।
हाफिज सईद पर आरोप
- 26/11 मुंबई हमले: हाफिज सईद को 2008 के मुंबई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है, जिसमें 166 लोग मारे गए थे। भारत और अमेरिका दोनों ने उन्हें इस हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
- आतंक वित्तपोषण: पाकिस्तान की अदालतों ने उन्हें आतंक वित्तपोषण के मामलों में दोषी ठहराया है। अप्रैल 2022 में, उन्हें दो मामलों में कुल 31 वर्षों की सजा सुनाई गई।
- अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, अमेरिका, भारत, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया और रूस ने उन्हें आतंकवादी घोषित किया है। अप्रैल 2012 में, अमेरिका ने उनके ऊपर $10 मिलियन का इनाम घोषित किया था।
आतंकी केस-3: अजमल आमिर कसाब (Ajmal Aamir Kasab)

- जन्म: 13 जुलाई 1987, फरीदकोट, पंजाब प्रांत, पाकिस्तान
- मौत: 21 नवंबर 2012, यरवदा जेल, पुणे
- संगठन: लश्कर-ए-तैयबा
- कनेक्शन: 26/11 हमले में शामिल एकमात्र जीवित पकड़ा गया आतंकी, पाकिस्तान से आया था।
- पाकिस्तान का रुख: पहले इनकार किया, फिर कसाब के पिता और बाद में NSA ने पुष्टि की।
- प्रमाण: पाकिस्तानी पत्रकारों ने गांव से रिपोर्ट की; FIA प्रमुख तारिक खोसा ने सबूत पेश किए (बोट, GPS, ऑपरेशन रूम)।
अजमल आमिर कसाब का जन्म 13 जुलाई 1987 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के ओंकारा जिले के फरीदकोट गांव में हुआ था। वह 2005 में घर छोड़कर लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया। कसाब ने 2008 के मुंबई हमलों में भाग लिया, जिसमें 166 लोग मारे गए थे। वह छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST) पर हुए हमले में शामिल था और एकमात्र आतंकी था, जिसे 26 नवंबर 2008 को जिंदा पकड़ा गया। 3 मई 2010 को उसे दोषी ठहराया गया और 6 मई 2010 को मौत की सजा सुनाई गई। बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा को बरकरार रखा। 21 नवंबर 2012 को पुणे की यरवदा जेल में उसे फांसी दी गई।
पाकिस्तान का स्टैंड: पहले इनकार, फिर इकरार
शुरुआत में पाकिस्तान ने कसाब की नागरिकता से इनकार किया। हालांकि, दिसंबर 2008 में कसाब के पिता ने स्वीकार किया कि वह उनका बेटा है। जनवरी 2009 में पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार महमूद अली दुर्रानी ने कसाब की पाकिस्तानी नागरिकता की पुष्टि की, जिसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया। 2015 में पाकिस्तान की एफआईए के पूर्व प्रमुख तारिक खोसा ने जब Dawn अखबार में मुंबई हमले की जांच रिपोर्ट को विस्तार से पेश किया, तो पूरे देश में हलचल मच गई थी। खोसा ने स्वीकार किया कि अजमल कसाब पाकिस्तानी था, कि हमले की साजिश कराची में रची गई थी, और कि जांचकर्ताओं ने सबूत भी जुटा लिए थे – बोट इंजन से लेकर ऑपरेशन रूम तक।
पाकिस्तानी मीडिया ने कसाब की नागरिकता के मुद्दे पर सरकार की प्रारंभिक अस्वीकार की नीति की आलोचना की। GEOTV जैसे चैनलों ने कसाब के फरीदकोट गांव से रिपोर्टिंग की, जिससे उसकी पहचान की पुष्टि हुई। पत्रकार हामिद मीर ने कहा कि GEO TV ने कसाब को पाकिस्तानी साबित किया, जबकि सरकार इनकार कर रही थी।
कसाब पर आरोप
- हत्या: 166 लोगों की हत्या में शामिल।
- भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ना: सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमला।
- साजिश रचना: हमलों की योजना में भागीदारी।
- विस्फोटक रखना: गैरकानूनी रूप से हथियार और विस्फोटक रखना।
आतंकी केस-4: तहव्वुर हुसैन राणा (Tahawwur Hussain Rana)

- जन्म: 12 जनवरी 1961, चिचावतनी, पाकिस्तान
- संगठन: लश्कर से जुड़ा सहयोगी
- कनेक्शन: डेविड हेडली के साथ मिलकर 26/11 की साजिश में शामिल, उसकी फर्म का इस्तेमाल भारत में रेकी के लिए हुआ।
- वर्तमान स्थिति: अमेरिका से अप्रैल 2025 में भारत को प्रत्यर्पित, अब NIA की हिरासत में।
- पाकिस्तान का रुख: कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं; चुप्पी साधे हुए।
- अमेरिका में सजा: पहले डेनमार्क हमले की साजिश में दोषी, फिर भारत को सौंपा गया।
तहव्वुर हुसैन राणा एक पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक और पूर्व सैन्य चिकित्सक है, जिस पर 26/11/2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में संलिप्तता का आरोप है। वर्तमान में, वह भारत में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की हिरासत में है, जहां उनके खिलाफ आतंकवाद से संबंधित आरोपों की जांच चल रही है। राणा, लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य डेविड कोलमैन हेडली के करीबी सहयोगी है, जिसने हमलों की योजना बनाने और लक्ष्यों की टोह लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
कहां है तहव्वुर हुसैन राणा?
अप्रैल 2025 में, अमेरिका ने राणा को भारत प्रत्यर्पित किया। यह निर्णय अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी याचिका खारिज करने के बाद लिया गया। भारत में, उन्हें NIA की हिरासत में रखा गया है और उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही जारी है।
भारत में आरोप
भारत ने राणा के खिलाफ निम्नलिखित आरोप लगाए हैं- भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश। हत्या और आतंकवादी कृत्य करने की साजिश। धोखाधड़ी के लिए जालसाजी और जाली दस्तावेजों का उपयोग। इन आरोपों के आधार पर, भारत ने अमेरिका से उनके प्रत्यर्पण की मांग की थी।
पाकिस्तान का स्टैंड: चुप्पी
पाकिस्तान ने राणा की नागरिकता को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, रिपोर्ट्स के अनुसार, राणा ने पिछले दो दशकों में पाकिस्तान से कोई दस्तावेजीकरण नहीं कराया है, जिससे पाकिस्तान ने उनसे दूरी बना ली है।
आतंकी केस-5 :मसूद अजहर (Masood Azhar)

- संगठन: जैश-ए-मोहम्मद
- जन्म: 10 जुलाई 1968, बहावलपुर , पंजाब, पाकिस्तान
- कनेक्शन: बहावलपुर (पाकिस्तान) में जैश का मुख्यालय
- भारत पर आरोप: संसद हमला (2001), पठानकोट हमला (2016), पुलवामा हमला (2019)
- पाकिस्तान का स्टैंड: उसे ‘लापता’ बताया गया, लेकिन चीन के सहयोग से उसे संयुक्त राष्ट्र में ‘ग्लोबल आतंकी’ घोषित होने से बार-बार बचाया गया (2019 में घोषित हुआ)।
मसूद अजहर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का संस्थापक और प्रमुख है। वह भारत में कई बड़े आतंकवादी हमलों का मास्टरमाइंड रहा है, जिनमें 2001 का संसद हमला, 2016 का पठानकोट एयरबेस हमला और 2019 का पुलवामा हमला शामिल हैं।
मसूद अजहर की आतंकी एक्टिविटी
- 1994 में गिरफ्तारी: मसूद अजहर को भारत में 1994 में गिरफ्तार किया गया था। उसे जम्मू-कश्मीर में विदेशी आतंकियों के नेटवर्क को मजबूत करने के आरोप में पकड़ा गया था।
- 1999 में रिहाई: दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 के अपहरण के बाद, भारत सरकार ने यात्रियों की रिहाई के बदले मसूद अजहर को रिहा किया। उसे कंधार, अफगानिस्तान में छोड़ा गया।
- JeM की स्थापना: रिहाई के तुरंत बाद, उसने जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की, जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI, तालिबान और ओसामा बिन लादेन का समर्थन प्राप्त था।
प्रमुख हमले:
- 2001 संसद हमला: JeM और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने भारतीय संसद पर हमला किया, जिसमें 14 लोग मारे गए।
- 2016 पठानकोट हमला: भारतीय वायुसेना के अड्डे पर हमला, जिसमें 7 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए।
- 2019 पुलवामा हमला: CRPF के काफिले पर आत्मघाती हमला, जिसमें 40 जवान शहीद हुए।
वर्तमान स्थिति: मसूद अजहर कहां है?
पाकिस्तान में मौजूदगी: हाल के वर्षों में, मसूद अजहर की पाकिस्तान में सक्रियता की रिपोर्ट सामने आई हैं। 2024 में, उसने बहावलपुर में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया, जो उसकी 21 वर्षों में पहली सार्वजनिक उपस्थिति थी। दिसंबर 2024 में, अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत की यात्रा के दौरान उसे दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उसे पाकिस्तान में अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पाकिस्तान का स्टैंड: पहले इनकार, फिर इकरार
पाकिस्तान ने अक्सर मसूद अजहर की मौजूदगी से इनकार किया है। हालांकि, तालिबान ने 2022 में स्पष्ट किया कि मसूद अजहर पाकिस्तान में है, अफगानिस्तान में नहीं।
भारत का स्टैंड
UN में वैश्विक आतंकवादी घोषित: भारत के प्रयासों से, संयुक्त राष्ट्र ने 2019 में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया। भारत ने पाकिस्तान से मसूद अजहर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। हाल ही में, उसकी सार्वजनिक उपस्थिति के बाद, भारत ने पाकिस्तान की ‘दोहरेपन’ की निंदा की।
आतंकी केस-6 :जकीउर रहमान लखवी (Zakiur Rehman Lakhvi)

- जन्म: 30 दिसंबर 1960 (आयु 64), ओंकारा जिला , पंजाब-पाकिस्तान
- संगठन: लश्कर-ए-तैयबा
- कनेक्शन: पाकिस्तान में 26/11 हमलों की साजिश का मुख्य आरोपी
- स्थिति: गिरफ्तारी के बाद बेल पर बाहर, कई वर्षों तक पाकिस्तानी जेल में ‘VIP ट्रीटमेंट’ मिला।
- पाकिस्तान का स्टैंड: दिखावे की गिरफ्तारी, पर कार्रवाई बेहद धीमी।
जकीउर रहमान लखवी (Zakiur Rehman Lakhvi) पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का सह-संस्थापक और संचालन प्रमुख है। उसे 2008 के मुंबई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है, जिसमें 166 लोग मारे गए थे। भारत और अमेरिका ने उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित किया है, और वह भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल है।
वर्तमान स्थिति: लखवी अब कहां है?
जनवरी 2021 में, पाकिस्तान की आतंकवाद-रोधी विभाग (CTD) ने लखवी को आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप में गिरफ्तार किया। उसे तीन मामलों में 5-5 साल की सजा सुनाई गई, जो एक साथ चलने वाली थीं। हालांकि, नवंबर 2024 में एक वीडियो सामने आया जिसमें लखवी को लाहौर, रावलपिंडी और ओकारा में स्वतंत्र रूप से घूमते हुए देखा गया। इससे पाकिस्तान की आतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्धता पर सवाल उठे।
पाकिस्तान का स्टैंड: गिरफ्तार, फिर रिहा
पाकिस्तान ने लखवी को मुंबई हमलों के मामले में गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया। सरकार ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामलों में उसके खिलाफ कार्रवाई की, लेकिन मुंबई हमलों के लिए कोई ठोस सजा नहीं दी गई। पाकिस्तानी मीडिया में लखवी पर सीमित रिपोर्टिंग होती है। जब भी उसकी गतिविधियां सामने आती हैं, तो सरकार अक्सर चुप्पी साध लेती है।
भारत का स्टैंड
भारत ने लखवी को मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड माना है और पाकिस्तान से उसकी सख्त सजा की मांग की है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लखवी के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रयास किए हैं।
प्रमुख आरोप
- मुंबई हमले (2008): लखवी पर 26/11 हमलों की योजना बनाने, आतंकियों को प्रशिक्षित करने और हमलों के दौरान उन्हें निर्देश देने का आरोप है। अन्य आतंकी गतिविधियां: लखवी पर अफगानिस्तान, चेचन्या, बोस्निया, इराक और दक्षिण-पूर्व एशिया में आतंकी हमलों की योजना बनाने का भी आरोप है।
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध: लखवी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने वैश्विक आतंकवादी घोषित किया है। उसके खिलाफ वित्तीय प्रतिबंध लगाए गए हैं, और अमेरिका ने उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए पाकिस्तान पर दबाव डाला है।
आतंकी केस-7 : सैयद मोहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सैयद सलाहुद्दीन (Syed Mohammed Yusuf Shah alias Syed Salahuddin)

- जन्म: 18 फरवरी 1946, सोइबुग, जम्मू और कश्मीर।
- संगठन: 1989 में हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ, फिर प्रमुख बना।
- शिक्षा: कश्मीर विश्वविद्यालय से स्नातक।
- कनेक्शन: पाकिस्तान में खुलेआम भाषण, ISI का समर्थन
- भारत पर आरोप: जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने का आरोपी
- पाकिस्तान का स्टैंड: उसे ‘कश्मीरी मुजाहिद’ बताकर समर्थन।
- राजनीतिक शुरुआत: 1987 में जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के उम्मीदवार के रूप में भाग लिया, लेकिन चुनाव में धांधली के आरोपों के बाद उन्होंने उग्रवाद का रास्ता अपनाया।
वर्तमान स्थिति: कहां है सैयद सलाहुद्दीन?
सैयद सलाहुद्दीन पिछले कई सालों से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के मुजफ्फराबाद में रह रहा है। उसने कई बार सार्वजनिक रैलियों में भाग लिया है और मीडिया से रूबरू हुआ, जिसमें उसने भारत में आतंकी हमलों की जिम्मेदारी स्वीकार की है। उसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का समर्थन प्राप्त है, और एक पाकिस्तानी सरकारी दस्तावेज में यह स्वीकार किया गया है कि वह ISI के लिए काम करता है।
पाकिस्तान का स्टैंड: इनकार, फिर इकरार?
पाकिस्तान ने सैयद सलाहुद्दीन को आतंकवादी मानने से इनकार किया है। जब अमेरिका ने उन्हें 2017 में ‘वैश्विक आतंकवादी’ घोषित किया, तो पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे ‘पूरी तरह से अनुचित’ बताया और कहा कि वह कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए नैतिक, राजनीतिक और कूटनीतिक समर्थन जारी रखेगा। पाकिस्तानी मीडिया में सैयद सलाहुद्दीन की गतिविधियों पर सीमित रिपोर्टिंग होती है। हालांकि, उन्होंने पाकिस्तानी चैनलों को दिए साक्षात्कारों में भारत में आतंकी हमलों की जिम्मेदारी स्वीकार की है और कहा है कि वह भारत में कभी भी हमला कर सकता है।
भारत का स्टैंड
भारत ने सैयद सलाहुद्दीन को कई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड माना है, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में सुरक्षाबलों और नागरिकों पर हुए हमलों में। भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उन्हें ‘मोस्ट वांटेड’ सूची में शामिल किया है। भारत ने अमेरिका द्वारा उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने का स्वागत किया और इसे अपनी लंबे समय से चली आ रही स्थिति की पुष्टि बताया कि पाकिस्तान से संचालित आतंकवाद कश्मीर में अशांति का कारण है।
प्रमुख आरोप
- आतंकी हमलों की योजना और संचालन: हिज़्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख के रूप में, उसने भारत में कई आतंकी हमलों की योजना बनाई और उन्हें अंजाम दिया।
- आतंकियों को प्रशिक्षण और हथियारों की आपूर्ति: उसने कश्मीर घाटी में आतंकियों को प्रशिक्षण दिया और उन्हें हथियारों से लैस किया।
- आतंकी फंडिंग: भारत में आतंकवाद के वित्तपोषण के मामलों में उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चार्जशीट दाखिल की है।
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध: अमेरिका ने 26 जून 2017 को सैयद सलाहुद्दीन को ‘विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी’ घोषित किया। इससे उनके अमेरिकी क्षेत्राधिकार में सभी संपत्तियां और हित अवरुद्ध हो गए हैं, और अमेरिकी नागरिकों को उनके साथ किसी भी लेन-देन से प्रतिबंधित किया गया है।
FATF रिपोर्ट में पाकिस्तान की स्थिति
FATF (Financial Action Task Force) एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ कार्य करती है।
पाकिस्तान का FATF ग्रे लिस्ट में होना
पाकिस्तान को जून 2018 में FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया था, जिसका अर्थ है कि देश में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए थे। अक्टूबर 2022 में, FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटा दिया, यह मानते हुए कि उसने आवश्यक सुधार किए हैं।
FATF की वर्तमान रिपोर्ट
FATF की जून 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान अब ग्रे लिस्ट में नहीं है, लेकिन उसे निगरानी में रखा गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ अपने उपायों को बनाए रखे।
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