चीन ने खुद किया पंचशील का उल्लंघन
शी जिनपिंग के पंचशील की तारीफ करने को भले ही हैरान करने वाली नजर से देखा जा रहा है लेकिन रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी इसमें आश्चर्य जैसा नहीं देखते हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि शी जिनपिंग ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों की प्रशंसा की है। चेलानी ने आगे लिखा, अपने भाषण में जो बात चीन ने नहीं बताई वह यह है कि लगभग (पंचशील समझौते के) आठ साल बाद 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण करके सभी पंचशील सिद्धांतों का खुलेआम उल्लंघन किया। ये सिद्धांत थे- एक-दूसरे की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान’, ‘गैर-आक्रामकता’, ‘एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना’, ‘समानता और पारस्परिक लाभ’ तथा ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व’।
पंचशील भारत की सबसे बड़ी भूल
ब्रह्म चेलानी ने आगे लिखा, चीन अपने पड़ोसियों के साथ अपने संबंधों में उन सिद्धांतों का उल्लंघन करना लगातार जारी रखे हुए है। उन्होंने 1954 के पंचशील समझौते को आजादी के बाद भारत की सबसे बड़ी भूलों में से एक बताया। उस समझौते के माध्यम से भारत ने बिना कुछ हासिल किए तिब्बत में अपने ब्रिटिश विरासत वाले क्षेत्रीय अधिकारों को छोड़ दिया और चीन के तिब्बत क्षेत्र को मान्यता दी। समझौते की शर्तों के तहत, भारत ने तिब्बत से अपने मिलिट्री एस्कॉर्ट को वापस बुला लिया और वहां संचालित डाक, टेलीग्राफ और टेलीफोन सेवाओं को चीन को सौंप दिया।
जिनपिंग ने क्या कहा?
शी ने सम्मेलन में कहा, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांतों की शुरुआत एशिया में हुई, लेकिन जल्द ही ये विश्व मंच पर छा गए। उन्होंने कहा कि 1960 के दशक में उभरे गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने भी इन सिद्धांतों को मार्गदर्शक सिद्धांत के तौर पर अपनाया।