
DHBVN को बेचते हैं अतिरिक्त बिजली
संदीप ने बताया कि उनके सोलर पैनल से उत्पादित बिजली दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (DHBVN) को बेची जाती है और उनके घर पर लगे दो मीटर से बिजली की खपत और उत्पादन का हिसाब रखा जाता है। DHBVN का एक कर्मचारी हर महीने घर पर लगे बिजली के दोनों मीटरों की रीडिंग लेने आता है। उन्होंने बताया कि इस साल गर्मी में हमें सोलर सिस्टम लगाने का बहुत फायदा मिला है। गर्मी से भरे जून और जुलाई के महीनों में बिजली का बिल पूरी तरह से कम हो गया। अब उनके दोस्त और रिश्तेदार भी सोलर सिस्टम लगवाकर इसका फायदा उठा रहे हैं।
धीरे-धीरे घट रही सोलर पैनल की लागत
इंटरप्रेन्योर और वेलनेस कोच संदीप बताते हैं कि उस समय सोलर सिस्टम चलन में था और हमारे बहुत सारे दोस्त और पहचान वाले इसे इंस्टॉल करा रहे थे। चूंकि हम पहले से ही बिजली के भारी बिल भर रहे थे, इसलिए हमने इसे आजमाने का फैसला किया। हालांकि, उस वक्त सोलर सिस्टम लगवाने की लागत आज की तुलना में काफी ज्यादा आई। संदीप ने टाटा पावर से सोलर पैनल लगवाए थे। पहले 10 किलोवाट सिस्टम को लगवाने में उन्हें लगभग 60000 रुपये प्रति किलोवाट की लागत आई थी। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में सोलर पैनल की कीमतों में काफी गिरावट आई है।
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रखरखाव पर नहीं आता कोई खर्च
संदीप ने बताया कि जब उन्होंने 15 किलोवाट का दूसरा सिस्टम लगवाया, तो उसकी लागत लगभग 45000 रुपये प्रति किलोवाट आई थी। वहीं, सोलर सिस्टम के रखरखाव के बारे में बात करते हुए संदीप ने बताया कि उन्हें पिछले चार साल के दौरान कोई खर्च नहीं आया। उन्होंने छत पर सफाई के लिए शॉवर लगा रखे हैं। हम मैन्युअल तौर पर नल चालू करते हैं और ये शॉवर इन पैनलों पर जमी सारी धूल-मिट्टी को साफ कर देते हैं। अगर इस धूल को साफ ना किया जाए, तो इससे पैनल की उत्पादन क्षमता पर असर पड़ता है।
हर साल 3 से 4 लाख रुपये की बचत
संदीप के मुताबिक, सोलर सिस्टम को दो तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है। पहला- बैटरी स्टोरेज सिस्टम के साथ और दूसरा- नेट मीटरिंग के साथ। उन्होंने नेट मीटरिंग सिस्टम को चुना क्योंकि बैटरी स्टोरेज सिस्टम महंगा होता है और उसके रखरखाव में भी काफी खर्च आता है। उन्होंने बताया कि सोलर सिस्टम में निवेश पर अच्छा रिटर्न भी मिलता है। 25 किलोवाट के सिस्टम पर 12 से 13 लाख रुपये के निवेश से उन्हें हर साल 3 से 4 लाख रुपये की बचत हो रही है। इस तरह, अगले दो से तीन साल में संदीप को वो रकम वापस मिल जाएगी, जो उन्होंने इस सिस्टम को स्थापित करने में खर्च की।